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(as of Oct 22, 2024 16:51:10 UTC – Details)
सारी रात गुजर गयी। सुबह एकाध घंटे के लिए ही नींद आई। जब आँखें खुली तो कमरे की खिड़की में बने छोटे से छेद से कुछ किरणें अंदर झांक रही थी। ये नजारा ऐसा था जिसने उसके मन में एक उचाट भाव भर दिया था। उसे ज़िंदगी बिलकुल रिक्त सी लगी… एकदम खाली।
राहुल ऑफिस के लिए आज सुबह ही तैयार हो चुका था। मेधा ने देखा कि वो खाने के टेबल पर बैठा हुआ है। सामने दो कप चाय रखी हुई है। एक उसने देखते-देखते खत्म की।
मेधा ने राहुल से नजर मिलाई। राहुल मुसकुराते हुए खड़ा हुआ और डोर लॉक करके चला गया।
सामने वो एक कप चाय अभी भी मेधा को बुला रहा है। मेधा को लगा कि वो कोई चूहा है जो खुद साँप की तरफ बढ़ता जा रहा है।
उसने कप उठाया।
उसका माथा जैसे कि चक्कर खाया हो… उसने खुद को संभाला और चाय का वो कप हाथों में लिए चारों तरफ देखा… लगा कि हर निर्जीव चीज उसे आँख फाड़कर देख रही हो। मेधा ने लंबी सांस खींची और आँखें बंद करके पूरी ठंडी चाय एक बार में गले के नीचे उतार कर चेयर पर धम्म से बैठ गयी।
उसे लगा कि अंदर से कोई शक्ति, पिये हुए चाय को बाहर धकेलने की कोशिश कर रही है।
वो बिछावन तक पहुँचते-पहुँचते अचेत हो गयी।
घर में उसकी ये हालत देखने कोई जीव नहीं था। समूचा घर किसी आपदा के बाद के शहर की तरह शांत और खामोश था। सामने का दरवाजा, घर की खिड़कियाँ सभी मुंह बंद किए हैं…
ASIN : B0917K572F
Publisher : The Digital Idiots (26 March 2021)
Language : Hindi
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Print length : 133 pages