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(as of Jun 18, 2025 05:53:32 UTC – Details)
देश वापस आते ही ऐसे किसी अप्रिय मामले को लेकर सिर खपाने का जयन्त और माणिक का जरा भी मन नहीं कर रहा था। वे सुन्दरबाबू से विदा लेने जा ही रहे थे कि ऐसे समय में रामबाबू के मकान से एक युवक बाहर आया। उसके बाल बिखरे हुए थे, आँखें दोनों लाल हो रही थीं, दोनों गालों पर सूखे हुए आँसुओं के निशान थे— सारा चेहरा विषाद से ग्रस्त था।
सुन्दरबाबू ने पूछा, “आप कौन हो भाई?”
“मैं रामबाबू का भतीजा हूँ।”
“क्या नाम है?”
“अजीत कुमार बसु।” फिर कुछ ठहरकर वह बोला, “सुना है कि काकाबाबू के लोहे के सन्दूक से मात्र छह सौ रुपये मिले हैं?”
“हाँ।”
अजीत ने जेब से एक पत्र निकालकर कहा, “काकाबाबू की जिस रात मृत्यु हुई, उसी दिन उन्होंने यह पत्र मुझे लिखा था। और यह पत्र पाकर ही मैं भागा-भागा कोलकाता आया हूँ।”
पत्र पढ़ते-पढ़ते सुन्दरबाबू को बार-बार ‘हुम्म’ का उच्चारण करते सुन जयन्त भी उत्सुक होकर उनके कन्धे के ऊपर से सिर बढ़ाकर पत्र को पढ़ने लगा।
पत्र इस प्रकार से था:
‘प्रिय अजीत,
‘युद्ध शुरू हो जाने के कारण बहुत-से लोग बैंकों से रुपये निकाल रहे हैं। मित्रों के परामर्श से मुझे भी ऐसा ही करना पड़ा। अपने सारे रुपये— अर्थात् पाँच लाख आज मैं बैंक से निकाल लाया हूँ। दस हजार रुपये के पचास बण्डल अपने घर के लोहे के सन्दूक में लम्बे समय तक रखना सही नहीं रहेगा। इस सम्बन्ध में तुमसे परामर्श करना चाहता हूँ, क्योंकि तुम्हीं मेरे उत्तराधिकारी हो। अतः पत्र पाते ही कोलकाता चले आओ। इति, तुम्हारा शुभाकांक्षी
श्री रामचन्द्र बसु’
पत्र पढ़ना समाप्त करके सुन्दरबाबू ने फिर हुंकार भरी, “हुम्म!”
जयन्त बोला, “अजीतबाबू, आपको यकीन है कि उस लोहे के सन्दूक में ही रामबाबू ने दस-दस हजार रुपये नोट के पचास बण्डल रखे थे?”
“काकाबाबू के पास लोहे का बस एक ही सन्दूक है।”
“सुन्दरबाबू, आपको क्या लगता है?”
“अब यह क्या हो गया जयन्त? सोचा था— मामला हल्का है, सुलझाने में देर नहीं लगेगी, लेकिन यहाँ तो केंचुआ खोदते हुए साँप पर साँप निकले जा रहे हैं!”
माणिक बोला, “ऐसा-वैसा साँप नहीं सुन्दरबाबू— एकदम से जहरीला कोबरा!”
“हुम्म, मामला रहस्यमयी हो गया! साँप ने नहीं काटा, जबकि साँप के जहर से मौत हुई! लोहे के सन्दूक से पाँच लाख रुपये गायब! यानि— यह हत्या का मामला है!”
जयन्त मानो अपने आप से बुदबुदाया, “लाश के पैर पर बिल्ली-जैसे छोटे जानवर ने नाखूनों से खरोंच मारी है! इसका भला क्या मतलब हो सकता है?”
ASIN : B0DYHVZL9K
Publisher : जगप्रभा eBooks (25 February 2025)
Language : Hindi
File size : 327 KB
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Print length : 18 pages