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(as of Mar 19, 2025 22:08:53 UTC – Details)
बीती रात इंस्पेक्टर राखाल सरकार के घर सत्यान्वेषी ब्योमकेश आमंत्रित थे। सरकार महाशय दक्षिण कोलकाता के एक थाने के अधिकारी थानेदार थे। ब्योमकेश लोगों ने जब केयातला में जमीन खरीदकर मकान बनवाना शुरू किया था, तब उनके साथ परिचय हुआ था; परिचय क्रमशः बन्धुत्व में परिणत हुआ। सरकार महाशय पुलिस में होने के बावजूद बहुत ही मिलनसार और सहृदय व्यक्ति थे; उम्र में ब्योमकेश से कुछ छोटे थे, इसलिए बन्धुत्व के साथ बहुत हद तक लिहाज मिला हुआ था।
ब्योमकेश के साथ अजीत भी आया था निमंत्रण खाने। गपशप चली बहुत रात तक। रात गहरा गयी, लेकिन गप खत्म नहीं हुई। खाने-पीने के बाद अजीत को उठने की कोशिश करते देख राखालबाबू बोले, “ब्योमकेश’दा, आप आज रात यहीं रह जाईए न। कल सुबह एक ही बार मकान के काम का जायजा लेकर घर लौट जाईएगा।”
ब्योमकेश बोले, “बात ठीक ही है। अजीत, तुम आज लौट जाओ, मैं कल काम-काज देखकर लौटूँगा।”
अजीत चला गया। कोलकाता शहर में इस पाड़ा से उस पाड़ा जाना विदेश-यात्रा के समान था।
अगले दिन सुबह पौने आठ बजे ब्योमकेश चाय-नाश्ता कर निकलने का उपक्रम कर रहा था कि उसी समय टेलीफोन की घण्टी बज उठी। राखालबाबू ने फोन लेकर कुछ देर तक गौर से सुना, दो-एक जवाब दिया, इसके बाद फोन रखकर ब्योमकेश से वे बोले, “थाना से फोन था। हमारे इलाके के एक होटल में हत्या हो गयी है। रहस्यमयी मामला जान पड़ रहा है। आप चलिएगा मेरे साथ?”
ब्योमकेश बोले, “रहस्यमयी हत्या! जरूर जाऊँगा।”
ASIN : B0DNN3X4KR
Publisher : जगप्रभा eBooks (19 November 2024)
Language : Hindi
File size : 395 KB
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Print length : 28 pages