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(as of Jun 03, 2025 05:12:10 UTC – Details)
एक्युप्रेशर, न्यूरोथेरैपी एवं चुंबकीय चिकित्सा
(बिना दवाई चिकित्सा)
एक्युप्रेशर व एक्युपंक्चर पद्धति के विषय में बहुत से विद्वानों का मत यह भी हैं कि बौद्धों के साथ-साथ कराटे-जूडो आदि युद्ध विद्याओं के अलावा एक्युप्रेशर या एक्युपंक्चर भी चीन व जापान आदि देशों में पहुँचा और जैसा कि सदा से होता आया हैं, भारतीयों ने अपने धर्म-ग्रन्थों में छिपे वैज्ञानिक रहस्यों तथा विद्याओं के सूत्रों को नहीं पहचाना और उन्हें कोई महत्व नहीं दिया, किन्तु विदेशियों ने भारतीय संस्कृति में छिपे रहस्यों को न केवल ढूंढ निकाला, बल्कि उन पर मनन चिंतन कर उसी दिशा में और भी परिश्रम व अभ्यास किया । इस प्रकार शताब्दियों बाद भारत की कई विद्याएं जो भारतीय भुला बैठे थे, या ग्रन्थों के पृष्ठों में ही सिमटकर रह गई थीं, अथवा योग्य सुप्रात्र न मिल पाने के कारण विस्मृत हो गई थीं । हमारे सामने विदेशी विद्याओं के रूप में आई और हम चमत्कृत होकर रह गये । घर का जोगी जोगना वाली कहावत हम भारतीयों पर बिल्कुल सही-सही लागू होती हैं ।
एक्युपंक्चर आयुर्वेद की एक छोटी सी शाखा भर हैं । और उसकी भी उपशाखा एक्युप्रेशर हैं । इस शाखा का सम्बन्ध मानव शरीर के मर्म स्थानों से है । किस मर्म का सम्बन्ध शरीर के किस अंग से हैं, कौन सा मर्म शरीर में कहाँ अवस्थित हैं, उस पर कितना दबाव या उत्तेजना देना उससे सम्बन्धित अंग को कितना प्रभावित करेगा तथा उस पर किया गया आघात क्या परिणाम दिखलाएगा यब सब आयुर्वेद में विशेषतः सुश्रुतसंहिता में स्पष्ट वर्णित हैं ।
न्यूरोथेरैपी नाभि को केन्द्र मानकर रोग का उपचार करने की वैदिक पद्धति हैं । यह बिना दवा, बिना दर्द, बिना उपकरण एवं बिना किसी उपकरण की सहायता से उपचार करने की पद्धति हैं । इसका कोई कुप्रभाव भी नहीं हैं । यह चिकित्सा किसी भी आयु वर्ग के रोगी को की जा सकती हैं ।
न्यूरोथैरेपी द्वारा शरीर की क्रियाओं को सामान्य किया जाता हैं । शरीर के अनेक रस प्रवाहों को, जैसे – एसिड बेस, पाचक रसों एवं हार्मोंस आदि को संतुलित किया जाता हैं ।
प्रत्येक चिकित्सा – पद्धति के विषय में चाहे कितने दावे किए जाएँ कि इससे सभी रोगों को दूर किया जा सकता हैं, परन्तु ऐसे दावे सत्य से परे हैं । यदि सौभाग्यवश ऐसा संभव होता तो हमें विरले स्थानों पर ही डॉक्टर, अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि देखने को मिलते । परंतु सच्चाई यही हैं कि उक्त निकायों की भीड़ इतनी बढ़ गई हैं कि रोगी के लिए चुनाव करना कठिन हो जाता हैं कि वह किस डॉक्टर या संस्था से अपना उपचार कराए । प्रत्येक रोगी कम समय और खर्च में ठीक होना चाहता हैं । लुभावने विज्ञापनों, आकर्षक, पैकिंग, डॉक्टरों की दुकानों और अनेक चिकित्सा – पद्धतियों की बाढ़ ने रोगी को बौखला दिया हैं । अंत में वह सभी प्रलोभनों, सुझावों और दावों को अनदेखा करके उसी चिकित्सक के पास जाएगा, जिसमें उसे सर्वाधिक विश्वास होगा । यह अन्यमनस्कता की भयावह स्थिति हैं, क्योंकि रोगी को अपने चिकित्सक और उसके द्वारा अपनाई गई पद्धति में पूरा विश्वास ही उसके नीरोगी होने में सहायक होगा ।
Acupressure, Neurotherapy and Magnetic Therapy
(without drug therapy)
Acupuncture is just a small branch of Ayurveda. And its sub-branch is also acupressure. This branch is related to the heart places of the human body. Which marma is related to which part of the body, which marma is located where in the body, how much pressure or stimulation on it will affect the part related to it and what result will be shown when the trauma done on it is all in Ayurveda especially in Sushruta Samhita. are clearly described.
Neurotherapy is a Vedic method of treating diseases with the navel as the center. It is a method of treatment without medicine, without pain, without equipment and without any equipment. It doesn’t have any side effects. This therapy can be done to the patient of any age group.
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Language : Hindi
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