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(as of Jan 31, 2025 14:35:55 UTC – Details)
कोई भी व्यक्ति जन्म से अनुशासित नहीं होता। हम अनुशासनहीन पैदा होते हैं। हम शुरू से ही अपनी कमजोरियों से जूझते रहते हैं। हम उनके आगे झुक जाते हैं और अपना जीवन उन्हें चलाने देते हैं।
फिर एक दिन हम अपनी प्रकृति के विरुद्ध लड़ने का संकल्प लेते हैं। हम बहुत सारी लड़ाइयाँ हारते हैं, लेकिन हम धीरे- धीरे संयम और स्वयं पर नियंत्रण करना सीखते हैं। हम अपने आवेगों पर लगाम लगाना सीखते हैं। हम आत्म-संयम का मूल्य सीखते हैं। हम उन कई फायदों को देखने लग जाते हैं, जो हमें उनके कारण होते हैं।
जीत का स्वाद चखते हुए हम आगे बढ़ते हैं। समय और नए दृढ़ संकल्प के साथ हमारी विफलताएँ कम होने लगती हैं। हम आत्म-अनुशासित बनने की दिशा में उत्तरोत्तर प्रगति करने लगते हैं।
यह पुस्तक जीवन में सफलता और सार्थकता प्राप्त करने के लिए सबसे आवश्यक घटक ‘अनुशासन’ के महत्त्व, को रेखांकित करती है। आत्मानुशासन से ही हम अपने जीवन को व्यवस्थित करके वांछित सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
From the Publisher
ASIN : B0DHXB18SN
Publisher : Prabhat Prakashan (1 October 2024)
Language : Hindi
File size : 570 KB
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 169 pages