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(as of May 11, 2025 04:24:54 UTC – Details)
ओम नमः शिवाय!
श्री हरि!
मेरा दसवाँ कविता संग्रह, सरस्वती-पुत्र आप सभी पाठकों को अर्पित करते हुए आज संतोष है कि ज़िंदगी के बदलते हालातों में भी, आज इतने झंझावातों से घिरकर भी, जीकर भी चाहे जर्जर ही, विशुद्ध साहित्य से प्रेरणा पा रहा हूँ, हर तरफ़ बाज़ार से घिरा हूँ पर सेवा कर पा रहा हूँ। आज कविताओं का रूप जो होना था, वो कहीं तुकबंदियों में, गीत नाम की शाब्दिक चिंदियों में कहीं खो गया है! सर्जन की निरंतरता दूर हो गई है, एक सी ही पंक्तियाँ गायी और सालों तक दुहरायी जा रही हैं, ज़बरदस्ती कवित्व की ज़िद है, चुटकुले हास्य-व्यंग्य की कविताओं की जगह ले बैठे हैं! इतना समझ आया कि लोकप्रिय होना कविता नहीं करतब करने वालों के लिए ज़्यादा आसान है और इन्ही के बीच सरस्वती-पुत्र जैसी पुस्तक तैयार हुई, जो, इंतज़ार तुम्हारा, संग्रह के साल भर से भी ज़्यादा समय के बाद आयी है। ऑनलाइन मंचों पर ये कविताएँ नहीं मिलेंगी, अब करने से ज़्यादा दिखाने की प्रवृति से मैं भी बाज आ रहा हूँ! कवि का अंतर्मुखी होना ही ठीक है।
ASIN : B0CDS8ZP7N
Publisher : The Digital Idiots (4 August 2023)
Language : Hindi
File size : 133 KB
Simultaneous device usage : Unlimited
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 63 pages